आरंभ है युवापर्व का भारत माँ के युवा सुपुतो का शक्तिशाली यह राष्ट्र है आरंभ है युवापर्व का परिवर्तन का ध्यास है हर मन-हृदय मंदिर से राष्ट्र-भक्ती जगानी है संस्कृती का पालन कर के विकृती दूर भगानी है विवेकानंदजी युवास्त्रोत है हर युवा संघर्ष का समाजप्रती दायित्व कहे “स्वामीजी” संस्कृती का रग-रग मे राष्ट्रप्रेम हो देशभक्ती की ज्वाल बहे यशस्विता का विजय-गान हो मन मे सदा त्याग रहे राष्ट्र बना कर्तृत्व से विरो के,भगतसिंग के बलिदानो से छत्रपती शिवा,संभाजी,महाराणा के भालो से मातृभूमी को श्रेष्ठ बनाने हम सब मिलकर यज्ञ करे भारत के हर इंसान को साक्षरता से सुज्ञ करे दूर करेंगे अंधेरा छाया,सूर्य किरण की जय होगी अंधकार से शुभ्र तेज तक यात्रा अपनी स्वयं होगी हर युवा को साथ लेकर ध्येय पथ पर चलना है गुंज उठेगा विश्व सारा वंदे मातरम कहना है |
Written By:- हितेश अनिलजी श्रृंगारे ९९६७१६४९६२ hiteshshrungare5@gmail.com